8824 Grape अंगूर द्राक्ष.
अंगूर की खेती मल्टीप्लायर के साथ.
अंगूर की खेती को कठिन खेती माना जाता है, क्योंकि उसमें कुछ ऐसे रोग आते हैं, जिन्हें कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है, जैसे डाउनी मिल्ड्यू तथा पावडरी मिल्ड्यू, इसमें डाउनी मिल्ड्यू सबसे खतरनाक माना जाता है, कई बार किसान भाई इस डाउनी से घबराकर फसल को छोड़ देते हैं, हम आपको जो नियोजन बता रहे हैं, उससे आपको डाउनी और पावडरी मिल्ड्यू, दोनों की चिंता समाप्त या कम से कम हो जायेगी, मतलब आपकी सबसे बड़ी समस्या दूर होगी, साथ में हम आपके बगीचे को पूरा पोषण देंगे जिससे आपके बगीचे के पौधे बलवान बनेंगे तथा कीड़ और रोगों का प्रतिकार करेंगे.
बहार लेने के लिए छाँटनी करने के बाद पांचवे दिन से २०० लीटर पानी में २५० ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर हर ८ दिन के अंतर से १२० दिन तक देना है.
बहार छाँटनी के बाद पहला पानी देने के बाद हर दसवें दिन छिड़काव करना है, छिड़काव की मात्रा २०० लीटर पानी में १०० ग्राम मल्टीप्लायर तथा ५० मिली आल क्लियर मिलाना है यह नियोजन ७० दिन तक करना है.
७० दिन होने के बाद २०० लीटर पानी में ५० ग्राम मल्टीप्लायर तथा ३० मिली आल क्लियर मिलाना है, तथा उत्पादन निकलने तक छिड़काव करते रहना है, मल्टीप्लायर के प्रमाण को कंपनी के बताये अनुसार रखें.
रासायनिक खाद एकदम से बंद नहीं करना है, उसका प्रमाण २० प्रतिसत कम करिये, जब आपको उत्पादन बढ़कर मिले, तब अगली फसल में रासायनिक खाद और कम करिये, कुछ सालों में आपका रासायनिक खाद शून्य हो जायेगा.
मल्टीप्लायर का फायदा.
अंगूर की फसल में किटक और रोगों का अटैक ज़्यादा होता है, कई बार फसल को बचाने में लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं, मल्टीप्लायर के साथ अंगूर की खेती करनेवाले किसान भाइयों को किटक और रोग की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, मल्टीप्लायर का इस्तेमाल शुरू होते ही फसल बलवान बनेगी, फसल को आवश्यकता से अधिक भोजन की उपलब्धता होने लगेगी, जिससे फसल के पत्तों का आकार डेढ़ गुना बड़ा हो जाएगा, फसल के पत्तों का रंग डार्क ग्रीन हो जाएगा, मतलब फसल सूर्य ऊर्जा की मदद से अधिक भोजन तैयार करने लगेगी, परिणामस्वरूप उत्पादन बढ़कर आएगा.
किसी भी फसल पर कीड़ और रोग आने का मुख्य कारण फसल का कुपोषण होना होता है, रासायनिक खादों के कारण फसल का पोषण करनेवाली प्राकृतिक प्रणाली अकार्यरत हो जाती है, इसीलिए फसलों का कुपोषण होते ही, उनपर किटक और रोगों का अटैक हो जाता है, मल्टीप्लायर आपकी फसल को आवश्यकता से अधिक भोजन उपलब्ध कराता है, इसलिए फसल का कुपोषण नहीं होता, और फसल बलवान बनती है, बलवान फसल पर, कीट और रोग का अटैक जल्दी नहीं आता.
जब आप मल्टीप्लायर के साथ खेती करते है, आपकी बहोत सारी समस्याएँ अपने आप कम हो जाती है, सुरूवात के कुछ वर्षों तक किटक तथा रोगों के लिए रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ेगा, जैसे-जैसे आपकी मिट्टी में सुधार आता जाएगा किटक तथा रोग कम कम होकर समाप्त हो जाएँगे.
अंगूर की फसल में आपको ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट करना जरुरी है, ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट का ५ एकड़ का खर्चा २५० रुपये आता है, आप कंपनी के बताए अनुसार ट्रायकोडर्मा घर पर बनाकर जब फसल को पानी देंगे उसके साथ देना है, ऐसा आप तीन महीने तक लगातार करें, ऐसा करने से मिटटी से सभी हानिकारक विषाणु समाप्त हो जायेंगे.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
Dinesh Murdekar
9922935521
Business Co-ordinator
COMPANY- KRISHNA AGRIBUSINESS DEVELOPMENT PRIVATE LIMITED
अंगूर की खेती मल्टीप्लायर के साथ.
अंगूर की खेती को कठिन खेती माना जाता है, क्योंकि उसमें कुछ ऐसे रोग आते हैं, जिन्हें कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है, जैसे डाउनी मिल्ड्यू तथा पावडरी मिल्ड्यू, इसमें डाउनी मिल्ड्यू सबसे खतरनाक माना जाता है, कई बार किसान भाई इस डाउनी से घबराकर फसल को छोड़ देते हैं, हम आपको जो नियोजन बता रहे हैं, उससे आपको डाउनी और पावडरी मिल्ड्यू, दोनों की चिंता समाप्त या कम से कम हो जायेगी, मतलब आपकी सबसे बड़ी समस्या दूर होगी, साथ में हम आपके बगीचे को पूरा पोषण देंगे जिससे आपके बगीचे के पौधे बलवान बनेंगे तथा कीड़ और रोगों का प्रतिकार करेंगे.
बहार लेने के लिए छाँटनी करने के बाद पांचवे दिन से २०० लीटर पानी में २५० ग्राम मल्टीप्लायर मिलाकर हर ८ दिन के अंतर से १२० दिन तक देना है.
बहार छाँटनी के बाद पहला पानी देने के बाद हर दसवें दिन छिड़काव करना है, छिड़काव की मात्रा २०० लीटर पानी में १०० ग्राम मल्टीप्लायर तथा ५० मिली आल क्लियर मिलाना है यह नियोजन ७० दिन तक करना है.
७० दिन होने के बाद २०० लीटर पानी में ५० ग्राम मल्टीप्लायर तथा ३० मिली आल क्लियर मिलाना है, तथा उत्पादन निकलने तक छिड़काव करते रहना है, मल्टीप्लायर के प्रमाण को कंपनी के बताये अनुसार रखें.
रासायनिक खाद एकदम से बंद नहीं करना है, उसका प्रमाण २० प्रतिसत कम करिये, जब आपको उत्पादन बढ़कर मिले, तब अगली फसल में रासायनिक खाद और कम करिये, कुछ सालों में आपका रासायनिक खाद शून्य हो जायेगा.
मल्टीप्लायर का फायदा.
अंगूर की फसल में किटक और रोगों का अटैक ज़्यादा होता है, कई बार फसल को बचाने में लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं, मल्टीप्लायर के साथ अंगूर की खेती करनेवाले किसान भाइयों को किटक और रोग की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, मल्टीप्लायर का इस्तेमाल शुरू होते ही फसल बलवान बनेगी, फसल को आवश्यकता से अधिक भोजन की उपलब्धता होने लगेगी, जिससे फसल के पत्तों का आकार डेढ़ गुना बड़ा हो जाएगा, फसल के पत्तों का रंग डार्क ग्रीन हो जाएगा, मतलब फसल सूर्य ऊर्जा की मदद से अधिक भोजन तैयार करने लगेगी, परिणामस्वरूप उत्पादन बढ़कर आएगा.
किसी भी फसल पर कीड़ और रोग आने का मुख्य कारण फसल का कुपोषण होना होता है, रासायनिक खादों के कारण फसल का पोषण करनेवाली प्राकृतिक प्रणाली अकार्यरत हो जाती है, इसीलिए फसलों का कुपोषण होते ही, उनपर किटक और रोगों का अटैक हो जाता है, मल्टीप्लायर आपकी फसल को आवश्यकता से अधिक भोजन उपलब्ध कराता है, इसलिए फसल का कुपोषण नहीं होता, और फसल बलवान बनती है, बलवान फसल पर, कीट और रोग का अटैक जल्दी नहीं आता.
जब आप मल्टीप्लायर के साथ खेती करते है, आपकी बहोत सारी समस्याएँ अपने आप कम हो जाती है, सुरूवात के कुछ वर्षों तक किटक तथा रोगों के लिए रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ेगा, जैसे-जैसे आपकी मिट्टी में सुधार आता जाएगा किटक तथा रोग कम कम होकर समाप्त हो जाएँगे.
अंगूर की फसल में आपको ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट करना जरुरी है, ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट का ५ एकड़ का खर्चा २५० रुपये आता है, आप कंपनी के बताए अनुसार ट्रायकोडर्मा घर पर बनाकर जब फसल को पानी देंगे उसके साथ देना है, ऐसा आप तीन महीने तक लगातार करें, ऐसा करने से मिटटी से सभी हानिकारक विषाणु समाप्त हो जायेंगे.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
Dinesh Murdekar
9922935521
Business Co-ordinator
COMPANY- KRISHNA AGRIBUSINESS DEVELOPMENT PRIVATE LIMITED
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